बचपन में हम सभी ने नागराज की कॉमिक पढ़ी होगी. उस कॉमिक की कहानियों को पढ़ते-पढ़ते बच्चों का अपने बड़ों से एक सवाल रहता था क्या नागलोग सच में होता है ? मगर इस बात का जवाब 90 के दशक के बच्चों को आजतक नहीं मिल पाया. इसके अलावा टीवी पर भी कई फिल्में और धारावाहिक बने जिसमें कुछ जहरीले सांप बेशकीमती खजाने की रक्षा करते नजर आते हैं. उनमें यही दिखाया जाता है कि कोई बुरा आदमी खजाने और नागमणि के चक्कर में बेगुनाह सांपो पर हमला करते हैं और उनमें से इच्छाधारी नाग या नागिन उस बुरे आदमी से नागमणि की रक्षा करता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जो आपको हैरान कर सकता है. भारत में इस जगह है हकीकत का नागलोक, जहां जाने से लोगों की रूह तक कांप जाती है.
आज भी भारत में लोग नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करते हैं लेकिन नाग से हर कोई डरता है. ऐसा कहा जाता है कि सांप अगर चाहे तो अपने दुश्मन को माफ कर सकता है लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है. अगर आज हम किसी से नागलोक की बात करते हैं तो वे उन बातों को मजाक ही समझते हैं लेकिन ये एक सच्ची बात है. जी हां, भारत के छत्तिसगढ़ राज्य में स्थित जशपुर जिले में हकीकत का नागलोग बसता है. इस इलाके में लोग जाने से बहुत ज्यादा डरते हैं और यहां कुछ देर ठहरने की बात पर ही लोगों की रूह कांप सी जाती है. यहां आपको हर कदम पर सांपों का झुंड मिल जाएगा और ऐसा कहा जाता है कि यहां पर पाई जाने वाली ईव नदी में सोने का भंडार है और जिसके आस-पास हजारों सांपों का पहरा हर समय रहता है. यहां की पौराणिक कहानियों के अनुसार कई हजार साल पहले यहां पर नागों के देवता ने कई हजार टन सोना छुपाया था और उसके पहले की जिम्मेदारी इन सांपो को दी गई है जिन्हें आज भी सांप निभा रहे हैं.
पुरानी बातों पर आज के लोग बहुत मुश्किल से भरोसा करते हैं और नाग देवता का होना और खजाने की बात को मानना कई बड़े वैज्ञानिकों ने भी इंकार किया है लेकिन इतने सारे सांपों की वजह से लोग यकीन करने पर मजबूर हैं. यहां पर कोबरा से लेकर कई दूसरी जहरीली प्रजाति के सांप उपस्थित हैं और वे नदी के आस पास ही रहते हैं. इसलिए कोई भी उस सोने को चुराने की हिम्मत नहीं करता है और अगर किसी ने उन सांपो को चकमा देकर सोना चुराने की कोशिश भी की तो सांप उन्हें जिंदा नहीं छोड़ते हैं.